उत्तराखंड | बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने तीनों दोषियों को आईपीसी की धारा 302 के तहत कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। AIIMS ऋषिकेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस हत्या की परतें खोलीं और साबित किया कि अंकिता नहर में गिरी नहीं थी, बल्कि उसे जबरन धक्का देकर गिराया गया था।

मामले की बारीकी से जांच और कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और क्राइम सीन के वैज्ञानिक विश्लेषण ने यह स्पष्ट किया कि अंकिता के शरीर पर कोई ऐसे निशान नहीं थे जो फिसलने की ओर इशारा करें। कोर्ट ने माना कि यह दुर्घटना नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या थी। “सडन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी” थ्योरी के जरिए बताया गया कि अंकिता को एक झटके में नहर में फेंका गया।
अभियुक्तों ने दबाव बनाया, फिर की निर्मम हत्या
अभियोजन ने बताया कि अंकिता पर रिसॉर्ट में ‘अतिरिक्त सेवाओं’ (अनैतिक कार्य) का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका विरोध करने पर उसे मौत के घाट उतार दिया गया।
साक्ष्यों ने तोड़ी बचाव पक्ष की दलीलें
बचाव पक्ष इस हत्याकांड को ‘दुर्घटना’ साबित करने की कोशिश करता रहा, लेकिन वैज्ञानिक और कानूनी साक्ष्यों के सामने उनका तर्क टिक नहीं पाया। अदालत ने मृतका के शरीर की चोटों, घटनास्थल की जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हत्या की पुष्टि की।
अंकिता की मां का दर्द – “हत्यारों को फांसी मिलनी चाहिए”
अदालत के फैसले के बाद अंकिता की मां सोनी देवी ने कहा, “मैं इस सजा से संतुष्ट नहीं हूं। हत्यारों को फांसी होनी चाहिए थी। हम हाईकोर्ट जाएंगे।”