रायपुर। छत्तीसगढ़ में शासकीय सेवाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को आरक्षण देने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अमितेश किशोर प्रसाद की एकलपीठ ने शासन से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं, याचिकाकर्ता को भी दो सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने को कहा गया है।
याचिका का मुख्य बिंदु
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह मांग की है कि केंद्र सरकार की तर्ज पर राज्य में भी शासकीय सेवाओं में EWS (Economically Weaker Sections) को 10% आरक्षण दिया जाए। याचिकाकर्ता का तर्क है कि संविधान में 103वें संशोधन के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है, जिसे कई राज्य लागू कर चुके हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से इसे अब तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है।
कोर्ट का निर्देश
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य शासन को चार सप्ताह के भीतर स्पष्ट उत्तर देने को कहा है कि EWS आरक्षण को लेकर उनकी वर्तमान नीति क्या है और शासकीय सेवाओं में यह कैसे लागू किया जा रहा है या क्यों नहीं।
अगली सुनवाई की तैयारी
याचिकाकर्ता को भी कोर्ट ने निर्देश दिया है कि शासन के जवाब के बाद वह दो सप्ताह के भीतर अपनी प्रतिक्रिया (rejoinder) दाखिल करे। इस मामले की अगली सुनवाई शासन के उत्तर और याचिकाकर्ता के प्रत्युत्तर के बाद निर्धारित की जाएगी।
महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा EWS आरक्षण लागू किए जाने के बाद कई राज्यों ने इस नीति को अपनाया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे लेकर अब भी स्पष्टता नहीं है। यही कारण है कि मामला अब न्यायिक दखल के स्तर तक पहुंच गया है।