धमतरी, 3 मई 2025
धमतरी नगर निगम में एक और बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है — इस बार ‘स्वच्छता’ की आड़ में। पार्षद निधि से आम जनता को मुफ्त में बांटे जाने के लिए खरीदे गए डस्टबिन की खरीद में भारी वित्तीय गड़बड़ी उजागर हुई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, थोक बाजार में मात्र ₹40 में मिलने वाले डस्टबिन को नगर निगम ने ₹238 प्रति यूनिट की दर से खरीदा। यानी हर डस्टबिन पर लगभग ₹198 की अतिरिक्त राशि वसूली गई। ये खरीदी सिर्फ कुछ सौ नहीं, बल्कि पूरे 55,000 डस्टबिन की थी — जिससे अनुमानित ₹1 करोड़ से अधिक की अनियमितता सामने आई है।
सबसे गंभीर बात यह है कि यह घोटाला नगर निगम के पिछले कार्यकाल में हुआ और इसमें लगभग सभी पार्षदों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। दस्तावेजों के अनुसार, सिर्फ तीन पार्षद ऐसे हैं जिन्होंने इस योजना में हिस्सा नहीं लिया, जबकि बाकी ने खुलेआम जनता के पैसों की बंदरबांट में हिस्सा लिया।
जानकारी के मुताबिक:
- कई वार्डों में डस्टबिन की संख्या मतदाताओं की संख्या से अधिक दर्ज की गई है — यानी फर्जी तरीके से जरूरत से ज्यादा डस्टबिन दिखाकर बिल पास कराए गए।
- दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के पार्षदों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया, जिससे ना तो किसी ने सवाल उठाया और न ही कोई विरोध दर्ज कराया।
- दस्तावेजों में पार्षदवार खरीदी की संख्या और दरें दर्ज हैं, जो इस पूरे घोटाले की पुष्टि करती हैं।
अब शहर में इस घोटाले को लेकर जनाक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। नागरिक संगठनों और आम लोगों की मांग है कि इस मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाई जाए और दोषी पार्षदों और अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से बेनकाब कर सख्त सजा दी जाए।
जनता के टैक्स से संचालित पार्षद निधि में इस तरह की खुली लूट पर नगर निगम प्रशासन और राजनीतिक दलों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
क्या जनता के पैसों से चलने वाली योजनाओं को इसी तरह निजी जेब भरने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा?
क्या अब “स्वच्छता अभियान” भी भ्रष्टाचार का नया माध्यम बन गया है?
धमतरी की जनता जवाब मांग रही है — और अब यह मामला सड़कों से सदन तक पहुँचता दिख रहा है।