जगदलपुर। बस्तर अंचल के प्रमुख शहर जगदलपुर में भूजल स्तर हर साल लगातार गिरता जा रहा है, जिससे आने वाले समय में जल संकट गहराने की आशंका बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, शहर में हर साल भूजल स्तर औसतन डेढ़ मीटर तक नीचे जा रहा है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए नगर निगम ने भवन निर्माण के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया है।
निगम का स्पष्ट निर्देश है कि यदि निजी भवन निर्माता रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाते हैं, तो उनके खिलाफ 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। निगम का मानना है कि वर्षा जल को संरक्षित किए बिना गिरते भूजल स्तर को रोकना असंभव है।
सरकारी भवनों में भी नहीं है पर्याप्त व्यवस्था
विडंबना यह है कि जल संरक्षण पर जोर देने वाला नगर निगम खुद पूरी तरह इस दिशा में तैयार नहीं है। जगदलपुर में सिर्फ 27 शासकीय भवनों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, जबकि अधिकांश सरकारी भवनों में यह सुविधा अब तक नहीं है। इससे आम लोगों के बीच निगम की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं।
महापौर ने दिया आश्वासन
इस मुद्दे पर महापौर संजय पांडे ने कहा है कि नगर निगम आने वाले समय में अपने अधीन सभी भवनों में अनिवार्य रूप से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करेगा। उनका कहना है कि जल संरक्षण को लेकर निगम गंभीर है और जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
जनता में जागरूकता की कमी
हालांकि निगम द्वारा उठाए जा रहे कदमों को जनता गंभीरता से नहीं ले रही है। कई लोगों का मानना है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था महज एक औपचारिकता बनकर रह गई है। जागरूकता की कमी के चलते लोग इसे लागू करने से बचते हैं, जिससे भूजल संरक्षण की कोशिशें कमजोर पड़ रही हैं।
निष्कर्ष
भूजल संकट से निपटने के लिए केवल नियम बनाना काफी नहीं होगा, बल्कि प्रशासन और जनता दोनों को मिलकर जागरूक और जिम्मेदार बनना होगा। वरना आने वाले वर्षों में जगदलपुर जैसे शहरों को गहरे जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
जल है तो कल है — यह सिर्फ नारा नहीं, अब एक सख्त चेतावनी बन चुका है।
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