पिता की मौत के बावजूद कलाकार ने मंच पर किया प्रदर्शन, अमित शाह के सामने नक्सल पीड़ितों की दर्दभरी कहानी पेश की

राजनांदगांव, 18 दिसंबर: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से एक ऐसी प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जिसने कला और समर्पण की असली मिसाल पेश की है। बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित प्रदेश के बड़े नेताओं के सामने एक नाटक की प्रस्तुति हो रही थी, तभी कलाकार नागेश पठारी को अपने पिता जीआर पठारी के निधन की खबर मिली। हालांकि, पिता की मृत्यु की खबर सुनकर भी उन्होंने अपनी प्रस्तुति को जारी रखा और नक्सल प्रभावित ग्रामीणों की पीड़ा को रंगमंच पर जीवंत किया।

कला के प्रति समर्पण की अद्भुत मिसाल
बस्तर ओलंपिक के समापन के अवसर पर आयोजित इस नाटक में नागेश पठारी मुख्य भूमिका में थे। नाटक का उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की कठिनाइयों और पीड़ा को सामने लाना था। जब नाटक का मंचन शुरू होने वाला था, उसी समय नागेश को अपने पिता के निधन की खबर मिली। बावजूद इसके, नागेश ने अपनी जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी और अपने दुख को अपने अभिनय में नहीं आने दिया। उन्होंने न केवल मंच पर उत्कृष्ट प्रस्तुति दी, बल्कि अपने दर्द को भी चुपके से छिपा लिया और दर्शकों के बीच अपने अभिनय के माध्यम से नक्सल पीड़ितों की व्यथा को बखूबी प्रदर्शित किया।

मंच पर अडिग रहे नागेश
नागेश ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित करते हुए मंच पर अभिनय किया और नक्सल पीड़ितों के मुद्दे को लोगों के सामने रखा। इस कठिन समय में उनके चेहरे पर मुस्कान बनी रही, और उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ प्रस्तुति को अंजाम दिया। इस घटना ने न केवल नाटक के दर्शकों को प्रभावित किया, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के कला जगत में भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गई।

अमित शाह और अन्य नेताओं ने की सराहना
नाटक के समापन पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागेश की साहसिकता और समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह कलाकार का समर्पण ही है कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत दुख को प्रदर्शन में आने नहीं दिया और अपने कार्य को प्राथमिकता दी। यह न केवल उनके कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है, बल्कि यह हम सब के लिए एक बड़ा संदेश है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।”


नागेश पठारी की यह कहानी कला के प्रति समर्पण और अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठा की एक मजबूत मिसाल बन गई है। यह घटना न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है, जिन्होंने दिखा दिया कि सच्चा कलाकार कभी भी अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटता, चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों।

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