रायपुर में डिजिटल अरेस्ट के अब तक 4 मामले, अकेले रहने वाले हो रहे शिकार…

रायपुर: पत्रिका रक्षा कवच अभियान के तहत साइबर अपराधों की बढ़ती समस्या को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अब तक रायपुर में डिजिटल अरेस्ट के 4 मामले सामने आ चुके हैं, और ये ठगी के शिकार आमतौर पर अकेले रहने वाले लोग बन रहे हैं। साइबर ठग इन लोगों को टारगेट करते हैं, खासकर उन व्यक्तियों को जो अकेले रहते हैं और जिनकी पारिवारिक स्थिति की जानकारी होती है।

डिजिटल अरेस्ट के तरीके

साइबर ठग पहले लोगों को कॉल करके बताते हैं कि उनका मोबाइल नंबर या बैंक खाता किसी आपराधिक मामले में इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद वे गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित को एकांत में रहने के लिए कहते हैं। पूछताछ के दौरान ठग पारिवारिक स्थिति, बैंक खाता, संपत्ति, और अन्य निजी जानकारियां लेते हैं। जितनी जानकारी पीड़ित देते हैं, ठग उतना ही डर दिखाकर मामले को बढ़ा देते हैं और डिजिटल अरेस्ट का नाम लेकर उन्हें और फंसाते हैं।

अकेले रहने वालों को ज्यादा निशाना बना रहे ठग

डिजिटल अरेस्ट के लिए साइबर ठग अकेले रहने वालों को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं। ये ठग पूछताछ के दौरान पूरी पारिवारिक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, और फिर पीड़ित को उनके घर में ही कैद रहने को कहते हैं। अगर पीड़ित का परिवार है, तो उन्हें एकांत में रहने को कहा जाता है। रायपुर में अब तक डिजिटल अरेस्ट के 4 मामले सामने आ चुके हैं, और ये मामले दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं।

असली जैसे दिखाने वाले दस्तावेज और वीडियो कॉल

इन ठगों के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दस्तावेज, पुलिस अधिकारी के वर्दी और वीडियो कॉल्स असली जैसे होते हैं। वे वीडियो कॉल के जरिए खुद को पुलिस अधिकारी और जज बताकर पीड़ित को डराते हैं। पीड़ित गिरफ्तारी के डर से इन ठगों के झांसे में आ जाते हैं, और इसके बाद ये ठग कोर्ट रूम जैसे माहौल में डिजिटल अरेस्ट का आदेश देते हैं। इससे पीड़ित को यह विश्वास हो जाता है कि वह असल में गिरफ्तार हो रहा है, और उसे धोखा का अहसास नहीं होता।

एएसपी क्राइम की सलाह: अनजान नंबर से वीडियो कॉल न उठाएं

एएसपी क्राइम संदीप मित्तल ने चेतावनी दी है कि अगर अनजान नंबर से वीडियो कॉल आए, तो उसे बिल्कुल भी न उठाएं। डिजिटल अरेस्ट एक साइबर ठगी की नई विधि है, और इस पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करें। यदि कोई इस झांसे में आ भी जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। तुरंत पुलिस या परिजनों से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, साइबर क्राइम से संबंधित मदद के लिए टोल फ्री नंबर 1930 पर कॉल किया जा सकता है।

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