April 29, 2025
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महादेव घाट, रायपुर – करणी सेना के अवैध कब्जे को हटाकर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने की पारंपरिक खारुन आरती का भव्य आयोजन

रायपुर, छत्तीसगढ़ | राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध महादेव घाट पर हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई है। खारुन नदी के तट पर लंबे समय से करणी सेना द्वारा किए गए कथित अवैध कब्जे को प्रशासन और जनआंदोलन के सहयोग से हटाया गया। इसके बाद छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा एक भव्य और पारंपरिक खारुन आरती का आयोजन किया गया, जिसने स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं को आकर्षित किया।

अवैध कब्जे को लेकर विवाद

महादेव घाट, जो कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र है, वहां पर करणी सेना द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण कर अस्थायी निर्माण कर लिया गया था। स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों की शिकायतों के बाद प्रशासन हरकत में आया। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के नेतृत्व में जनसहयोग से इस कब्जे के खिलाफ अभियान छेड़ा गया। प्रशासनिक कार्रवाई के अंतर्गत कब्जे को हटाया गया और घाट को पुनः जनसामान्य के लिए स्वच्छ और सुरक्षित बनाया गया।

खारुन आरती: संस्कृति का पुनर्जागरण

अवैध निर्माण हटाए जाने के बाद छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने घाट पर पारंपरिक करुण आरती का आयोजन कर एक ऐतिहासिक संदेश दिया। यह आरती छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति, जल संरक्षण और नदी पूजन की परंपरा को समर्पित थी। आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं, स्थानीय लोगों, युवा कार्यकर्ताओं और सांस्कृतिक संगठनों ने हिस्सा लिया।

घाट को दीपों से सजाया गया, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ आरती की गई। छत्तीसगढ़ी वेशभूषा में सजे युवाओं ने लोकगीतों के माध्यम से संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति दी।

आयोजन के प्रमुख संदेश

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पदाधिकारियों ने अपने वक्तव्यों में कहा कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी बाहरी संगठन या शक्ति को छत्तीसगढ़ की अस्मिता पर कब्जा करने नहीं दिया जाएगा।

प्रशासन की भूमिका

इस पूरी प्रक्रिया में स्थानीय प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही। समय पर कार्रवाई कर घाट को अतिक्रमण मुक्त किया गया और आयोजन के लिए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई।


यह आयोजन छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक स्वाभिमान और जनएकता का प्रतीक बन गया है। महादेव घाट की यह आरती न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ी रही, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी दे गई – “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”